Tuesday, 10 February 2015

चुनरी रंग गयी तेरे रंग में

चुनरी रंग गयी तेरे रंग में।
श्याम रंग में जब रंग लीनी, रंगे न दूजे रंग में। 
प्यार में तेरे जोगन हो गयी, नाचूँ तेरे संग में।      
बंसी मुझे बना लो कान्हा, रहूँ अधर के संग में।    
पागल हो कर प्रेम में तेरे, भूल गयी रंग ढंग में।    
ये जग मुझको रास न आवे, बिन तेरे बेरंग मैं।
....कैलाश शर्मा            

14 comments:

  1. प्रेमपगे सुन्दर भाव....

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  2. बंसी मुझे बना लो कान्हा, रहूँ अधर के संग में।
    पागल हो कर प्रेम में तेरे, भूल गयी रंग ढंग में।
    जय श्री राधे ! सुन्दर शब्द सुन्दर भाव श्री कैलाश शर्मा जी

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  3. अति सुन्दर सर।

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  4. कान्हा के प्रेम रंग में रंगी बहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

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  5. प्रेम रमग में रंगी भावभीनी रचना। बहुत ही अच्छी लगी।

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  6. आहा प्रेम रंग में सराबोर

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  7. प्रेमोल्‍लास फैलाते भाव।

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  8. प्रेम एवं भक्ति रंग में रंगी सुंदर और भावपूर्ण रचना...

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  9. सूर दास जी के पद की यादें ताज़ा हो गयीं आज तो ... बहुत ही सुन्दर ... प्रेम भाव से भरपूर रचना ...

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  10. बहुत ही सुंदर रचना प्रस्‍तुत की है आपने। धन्‍यवाद।

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  11. प्रेमरस में सराबोर कर दिया आपने सर!इस बार की होली इसी रंग में मनाई जाए!धन्यवाद और अभिनन्दन!

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  13. " लाली देखन मैं चली मैं भी हो गई लाल " काश हम भी यह कह पाते । अभी बहुत दूर जाना है ।

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