मत ढूंढो रिश्तों को
कुछ पाने की चाहत में,
चल नहीं पायेंगे दूर तक.
जब खड़े होते हैं रिश्ते
कुछ देने की चाह की नींव पर,
झेल जाते सब आंधी तूफ़ान
और खड़े रहते साथ अंत तक.
*****
केवल योजना और वादों पर
नहीं बनते सफलताओं के महल,
छोटी छोटी राहों पर भी
जो थाम लेता हाथ
होते हुए भी अकिंचन,
बन जाता है वह
सफलता के महल की
पहली ईंट.
...कैलाश शर्मा
कुछ पाने की चाहत में,
चल नहीं पायेंगे दूर तक.
जब खड़े होते हैं रिश्ते
कुछ देने की चाह की नींव पर,
झेल जाते सब आंधी तूफ़ान
और खड़े रहते साथ अंत तक.
*****
केवल योजना और वादों पर
नहीं बनते सफलताओं के महल,
छोटी छोटी राहों पर भी
जो थाम लेता हाथ
होते हुए भी अकिंचन,
बन जाता है वह
सफलता के महल की
पहली ईंट.
...कैलाश शर्मा
सुन्दर।
ReplyDeleteकेवल योजना और वादों पर
ReplyDeleteनहीं बनते सफलताओं के महल,
छोटी छोटी राहों पर भी
जो थाम लेता हाथ
होते हुए भी अकिंचन,
बन जाता है वह
सफलता के महल की
पहली ईंट.
दोनों ही क्षणिकाएं बहुत ही सार्थक , सुन्दर और व्यवहारिक हैं श्री कैलाश शर्मा जी
यथार्थ का आईना दिखाती,सार्थक रचना!...
ReplyDeletesundar ..dono hi ... bante bigdate rishto or netao ki wada faramoshi ko chitrit krti huyi :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteअति सुन्दर।
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएँ ....
ReplyDeleteअति सुंदर कैलाशजी
ReplyDeleteवाह ! सार्थक एवं सकारात्मक सन्देश देतीं सुन्दर क्षणिकाएं !
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सार्थक क्षणिकाएं. ..
ReplyDeleteसत्यं वदसि ।
ReplyDeleteसत्य लिखा है. देने की चाह और छोटी-छोटी रह ही जीवन को सफल बनाती है. सुंदर क्षणिकाएं !
ReplyDeletesankshipt me saar, ati sundar
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (22-02-2015) को "अधर में अटका " (चर्चा अंक-1897) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार...
Deleteकल 22/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आभार..
Deleteसार्थक पंक्तियां। पढ़कर अच्छा लगा।
ReplyDeleteरिश्ते निस्वार्थ ही बन पाते हैं टिके रहते हैं अन्यथा रिश्ते नहीं रहते ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...