:-)
सटीक ।
बहुत गहरी और सही बात..
सत्कर्मों की मिट्टी से मानव निज जीवन को गढता है । कैलाश जी ! आपका उद्देश्य और आपका कथ्य दोनों लाजवाब है । यह गूढ - चिन्तन का प्रतिफल हैं । चरैवेति - चरावेति ।
सच कहा है जीवन वाही जो हम बनाते हैं ... सटीक भाव ...
जाग्रति की बात ही श्रेष्ठ है, विचारणीय बात।
जीवन वह नहीं जो मिलता है जीवन वह है जो हम बनाते हैं.बहुत गहरी और सही बात आदरणीय शर्मा जी
nice
सुंदर एवं सार्थक
सत्य :) सुंदर :) सार्थक :)
:-)
ReplyDeleteसटीक ।
ReplyDeleteबहुत गहरी और सही बात..
ReplyDeleteसत्कर्मों की मिट्टी से मानव निज जीवन को गढता है ।
ReplyDeleteकैलाश जी ! आपका उद्देश्य और आपका कथ्य दोनों लाजवाब है ।
यह गूढ - चिन्तन का प्रतिफल हैं । चरैवेति - चरावेति ।
सच कहा है जीवन वाही जो हम बनाते हैं ... सटीक भाव ...
ReplyDeleteजाग्रति की बात ही श्रेष्ठ है, विचारणीय बात।
ReplyDeleteजीवन वह नहीं जो मिलता है
ReplyDeleteजीवन वह है जो हम बनाते हैं.
बहुत गहरी और सही बात आदरणीय शर्मा जी
nice
ReplyDeleteसुंदर एवं सार्थक
ReplyDeleteसत्य :) सुंदर :) सार्थक :)
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