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Monday, 10 March 2014

जीवन और मृत्यु

क्यों करते हो
प्रेम या वितृष्णा  
जीवन और मृत्यु से,
जियो जीवन सम्पूर्णता से 
हो कर निस्पृह उपलब्धियों से,
रहो तैयार स्वागत को
जब भी दे दस्तक मृत्यु.

रखो अपने मन को मुक्त 
भ्रम और संशय से,
पाओगे जीवन में 
प्रारंभ निर्वाण का 
और मृत्यु में अनुभव 
मुक्ति पुनर्जन्म से.

....कैलाश शर्मा