Wednesday 10 June 2015

खुशियों का आधार

जीवन की खुशियों का आधार
नहीं केवल उपलब्धियां,
प्रयास अनुभव करने का
जीवन में खुशियाँ
कम से कम बाह्य वस्तुओं में।

धन नहीं है पर्याय
संग्रह सांसारिक वस्तुओं का,
असली धन है
होना न्यूनतम इच्छाओं का।


...कैलाश शर्मा


15 comments:

  1. मन खाली होगा तभी तो वह आएगा..वह जो आनंद स्वरूप है...

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  2. असली मगर अब कम चलता है
    नकली हर जगह मचलता है ।

    बहुत सुंदर !

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  3. धन नहीं है पर्याय
    संग्रह सांसारिक वस्तुओं का
    असली धन है
    होना न्यूनतम इच्छाओं का।
    अति सुन्दर भाव शर्मा जी। बहुत खूब।

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  4. बेहद भावपूर्ण।

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  5. आदरणीय कैलाशजी, मैनें आपका ब्लॉग ज्वाइन कर लिया है। अगर आपको पसंद आयेतो मेरा ब्लॉग www.wikismarter.com ज्वाइन करें।

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  6. जीवन सत्य लिखा है ... गहरा दर्शन ... कम से कम इच्छाओं का होना मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं ... भावपूर्ण ...

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  7. सही आंकलन करते सार्थक शब्द आदरणीय श्री कैलाश शर्मा जी !!

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...सीधे सरल शब्दों में गहन बात कही है आपने। खुशियों का आधार सम्पन्नता नहीं, संतुलन है।

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  9. अपरिग्रह अर्थात धन संचय न करना, इच्छाओं को न्यूनतम रखना ही वास्तविक धन है...
    कितनी सुंदर बात कही है आपने ।

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  10. चरैवेति - चरैवेति । [ स्वगत - कथन ]

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  11. None understands in the run for hoarding currency that money is not everything.Nice thought.

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  12. None understands in the run for hoarding currency that money is not everything.Nice thought.

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