तलाश में खुशियों की
करते संघर्ष जीवन पर्यंत
और कर लेते एकत्र
दुखों का ढेर जीवन में.
लेकिन की जब तलाश
खुशियों की अंतर्मन में,
पाया विशाल सागर
अनंत खुशियों का
जिससे था अनभिज्ञ
साथ रह कर भी.
...कैलाश शर्मा
करते संघर्ष जीवन पर्यंत
और कर लेते एकत्र
दुखों का ढेर जीवन में.
लेकिन की जब तलाश
खुशियों की अंतर्मन में,
पाया विशाल सागर
अनंत खुशियों का
जिससे था अनभिज्ञ
साथ रह कर भी.
...कैलाश शर्मा
आन्तरिक खुशी बड़ी तो होती ही है। अनभिज्ञ ठीक कर लें।
ReplyDeleteअक्सर ऐसा ही होता है किसी बड़ी खुशी की चाह में हम छोटी-छोटी खुशियों को भूल जाते है।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
वाह बहुत खूब !
ReplyDeleteजिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठी
ReplyDeleteहौं बौरी डूबन डरी रही किनारे बैठी !
जिसने मन की अतल गहराइयों की थाह ले ली उसे अपने अंतर्मन में ही सारे सुख मिल जाते हैं ! बहुत सुंदर रचना !
बहुत सुंदर , प्रेरक भी
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसहमत हूँ आपसे...ख़ुशी की तलाश में तो दुनिया बैचैन है...पर खुशियाँ आसानी से नहीं मिलतीं...ख़ुशी सदैव हमारे मन में छुपी होती है बस जरूरत होती है उसे अंतर्मन से बाहर निकालने की...
ReplyDeleteसच्ची ख़ुशी तो हमारे अंदर ही होती ... बाहरी चीजों में नहीं ... जरुरत है उसे महसुस करने की ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....
jisne man ki thah paa li wah sukhi ho gaya ...bahut sundar
ReplyDeleteपाया विशाल सागर
ReplyDeleteअनंत खुशियों का
जिससे था अनिभिज्ञ .......अच्छा है आदरणीय!
jst wowwww.........:-)
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