Monday, 24 February 2014

खुशियों का सागर

तलाश में खुशियों की 
करते संघर्ष जीवन पर्यंत 
और कर लेते एकत्र 
दुखों का ढेर जीवन में.

लेकिन की जब तलाश 
खुशियों की अंतर्मन में, 
पाया विशाल सागर 
अनंत खुशियों का 
जिससे था अनभिज्ञ  
साथ रह कर भी.

...कैलाश शर्मा 

12 comments:

  1. आन्‍तरिक खुशी बड़ी तो होती ही है। अनभिज्ञ ठीक कर लें।

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  2. अक्सर ऐसा ही होता है किसी बड़ी खुशी की चाह में हम छोटी-छोटी खुशियों को भूल जाते है।

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  3. बहुत ही बढ़िया सर!

    सादर

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  4. जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठी
    हौं बौरी डूबन डरी रही किनारे बैठी !

    जिसने मन की अतल गहराइयों की थाह ले ली उसे अपने अंतर्मन में ही सारे सुख मिल जाते हैं ! बहुत सुंदर रचना !

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  5. बहुत सुंदर , प्रेरक भी

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  6. सहमत हूँ आपसे...ख़ुशी की तलाश में तो दुनिया बैचैन है...पर खुशियाँ आसानी से नहीं मिलतीं...ख़ुशी सदैव हमारे मन में छुपी होती है बस जरूरत होती है उसे अंतर्मन से बाहर निकालने की...

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  7. सच्ची ख़ुशी तो हमारे अंदर ही होती ... बाहरी चीजों में नहीं ... जरुरत है उसे महसुस करने की ....
    बहुत सुंदर ....

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  8. jisne man ki thah paa li wah sukhi ho gaya ...bahut sundar

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  9. पाया विशाल सागर
    अनंत खुशियों का
    जिससे था अनिभिज्ञ .......अच्छा है आदरणीय!

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