Sunday, 9 February 2014

भाग्य

होता है निर्भर 
अस्तित्व और उपलब्धि 
हमारी तीव्र इच्छा पर,
जैसी होती है इच्छा 
तदनुसार होते प्रयास 
उपलब्धि को वैसे ही कर्म.

जैसे होते हैं कर्म 
बन जाता भाग्य वैसा ही.

....कैलाश शर्मा 

12 comments:

  1. जी सही कहा
    पर कभी कभी
    कर्म हमारे होते हैं
    भाग्य दौड़ पड़ता है
    किसी और का
    चोर के सर पर
    मुकुट होता है
    और हम
    देख रहे होते हैं
    नाच मोर का :)

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  2. भाग्य की सटीक व्याख्या, आदरणीय

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  3. apne karm ki kheti se hi apne bhagya ugate hain kailash g..bahut sahi.....

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  4. जीवन के प्रति सुन्दर सन्देश देती रचना... जीवन में कर्म और भाग्य दोनों का महत्व है लेकिन कर्म की भूमिका यकीनन भाग्य से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.

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  5. सब कुछ जुड़ा हुआ है इक दूजे से ... जैसे जेवण के दिन रात ...

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  6. बहुत बढ़िया ....!! ये सच है कर्म से भाग्य बदल सकता है ....

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  7. जैसे होते हैं कर्म
    बन जाता भाग्य वैसा ही....haan ji sahi kaha aapne

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  8. कर्म और भाग्य कि सटीक व्याख्या
    :-)

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