होता है निर्भर
अस्तित्व और उपलब्धि
हमारी तीव्र इच्छा पर,
जैसी होती है इच्छा
तदनुसार होते प्रयास
उपलब्धि को वैसे ही कर्म.
जैसे होते हैं कर्म
बन जाता भाग्य वैसा ही.
....कैलाश शर्मा
अस्तित्व और उपलब्धि
हमारी तीव्र इच्छा पर,
जैसी होती है इच्छा
तदनुसार होते प्रयास
उपलब्धि को वैसे ही कर्म.
जैसे होते हैं कर्म
बन जाता भाग्य वैसा ही.
....कैलाश शर्मा
जी सही कहा
ReplyDeleteपर कभी कभी
कर्म हमारे होते हैं
भाग्य दौड़ पड़ता है
किसी और का
चोर के सर पर
मुकुट होता है
और हम
देख रहे होते हैं
नाच मोर का :)
भाग्य की सटीक व्याख्या, आदरणीय
ReplyDeleteकर्मप्रधान भाग्य।
ReplyDeleteapne karm ki kheti se hi apne bhagya ugate hain kailash g..bahut sahi.....
ReplyDeleteजीवन के प्रति सुन्दर सन्देश देती रचना... जीवन में कर्म और भाग्य दोनों का महत्व है लेकिन कर्म की भूमिका यकीनन भाग्य से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.
ReplyDeleteसब कुछ जुड़ा हुआ है इक दूजे से ... जैसे जेवण के दिन रात ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ....!! ये सच है कर्म से भाग्य बदल सकता है ....
ReplyDeleteजैसे होते हैं कर्म
ReplyDeleteबन जाता भाग्य वैसा ही....haan ji sahi kaha aapne
कर्म और भाग्य कि सटीक व्याख्या
ReplyDelete:-)
आभार...
ReplyDeletebahut khoob :)
ReplyDeleteसटीक....
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