जो निरोध हठ कर के करता, उसका
मन निरुद्ध कब होता|
रम्य आत्मा में ज्ञानी का, संयमित चित्त स्वभाव से होता|| (१८.४१)
रम्य आत्मा में ज्ञानी का, संयमित चित्त स्वभाव से होता|| (१८.४१)
How can the
ignorant one abandon the thought,
when he is running
after it. But it comes naturally
to the wise man,
who remains established in his Self. (18.41)
कोई पदार्थ की सत्ता माने, कोई
उस पर विश्वास न करता|
ज्ञानी है मुक्त सदा दोनों से, आत्मानंद
में मग्न है रहता|| (१८.४२)
Some believes that
something exists and some
believes to the
contrary. The wise man is liberated
from both the
thoughts and, therefore, remains
happy in his inner
Self. (18.42)
अपनी अद्वैत शुद्ध आत्मा का, केवल
मन में भाव है रखते|
आत्मा से अनभिज्ञ मूढ़ जन, शांति-रहित
जीवन में रहते|| (१८.४३)
The man of lesser
intelligence thinks about the
pure non-duality
of himself, but being ignorant
of the same due to
his delusion, he remains
unfulfilled in his
life. (18.43)
आत्मा से परिचय न जिसका, बिन
आलम्ब न बुद्धि रहती|
मुक्त पुरुष की बुद्धि लेकिन, निष्काम
निराश्रय ही है रहती||
(१८.४४)
The one who is not
aware of his self does not find
a resting place
within, but the one, who is liberated,
is free from
desires and, therefore, needs no
resting place. (18.44)
विषय रूप व्याघ्र आतंकित, मूढ़
स्व-रक्षा प्रयास है करता|
एकाग्र निरोध सिद्धि करने को, चित्त
गुफा प्रवेश है करता||
(१८.४५)
Being afraid of
the tigers of the senses, the
ignorant takes
refuge in the cave of his mind
in search of
cessation of thought and
one-pointedness. (18.45)
...क्रमशः
....© कैलाश शर्मा
बहुत सुंदर व्याख्या ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteअपनी अद्वैत शुद्ध आत्मा का, केवल मन में भाव है रखते|
ReplyDeleteआत्मा से अनभिज्ञ मूढ़ जन, शांति-रहित जीवन में रहते||
सही कहा है, स्वयं के भीतर जिसने आत्मबोध को नहीं पाया उनके लिए संसार दुरूह है
विषय रूप व्याघ्र आतंकित, मूढ़ स्व-रक्षा प्रयास है करता|
ReplyDeleteएकाग्र निरोध सिद्धि करने को, चित्त गुफा प्रवेश है करता||
बहुत ही सुन्दर !!
उत्तमास्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteHappy Valentines Day Gifts Ideas Online
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