वासना रहित व निरालम्ब है, ज्ञानी मुक्त बंधनों
से रहता|
तन गतिशील प्रारब्ध वायु से, फिरता सूखे पत्ते सम
रहता|| (१८.२१)
The wise man,
being desireless and self reliant,
remains free from
all bondages, like a dry leaf
being blown about
in the strong wind of causality. (18.21)
मुक्त है जो जग के बंधन से, हर्ष विषाद मुक्त है
रहता|
वह विदेह सा आनंदित है, उसका मन है शीतल रहता|| (१८.२२)
One who is free
from the bondage of the world
remains free from
pleasure and sorrow. With a
peaceful mind, he
remains happy as if he is
living without a
body. (18.22)
रमण आत्मा में करता है, मन को शीतल स्वच्छ है
रखता|
ऐसा धैर्यवान जो जन है, न ग्रहण त्याग की इच्छा
करता|| (१८.२३)
One who enjoys
himself and keeps his mind clean
and calm, does not
have any desire for acquisition
or renunciation of
anything. (18.23)
जन साधारण सा कार्य है करते, ज्ञानी चित्त शून्य
है होता|
लेकिन उस ज्ञानी के मन में, अपमान मान बोध न
होता|| (१८.२४)
For the wise man
with naturally empty mind,
doing just as he
pleases, there is no feeling
of pride or contempt, as there is in ordinary
man. (18.24)
केवल देह ही कर्म है करता, शुद्ध आत्म है कर्म न
करता|
इसका बोध हो गया जिसको, करके भी वह कर्म न करता||
(१८.२५)
The one, who
understands that all acts are done
by body only and
the pure conscious Self does
not do anything,
even when doing, does not do
any act. (18.25)
....© कैलाश शर्मा
बहुत सुंदर 👌👌
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteकर्म में अकर्म का दर्शन कराते सुंदर श्लोक..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-08-2017) को "आजादी के दीवाने और उनके व्यापारी" (चर्चा अंक 2695) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/08/30.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
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