जिसने परम ब्रह्म को देखा, चिंतन करता है अहम्
ब्रह्म का|
ब्रह्म-रूप जो सब जग जाने, उसको चिंतन करना है
किसका? (१८.१६)
One who has seen
Supreme Soul (Param Brahm)
may think Í am
Brahm’, but what is there to think
for the person who
sees the entire world as one
Soul (Brahm)? (18.16)
जो पाता विक्षेप स्वयं में, वह उसके निरोध की
चिंता करता|
कोई विक्षेप रहा न जिसका, वह न निरोध की चिंता
करता|| (१८.१७)
One who has seen
distraction in oneself, worries
about removing
that distraction. When there is no
distraction in
him, what does there remain for
him to remove. (18.17)
लोगों से विपरीत है ज्ञानी, व्यवहार सभी जन जैसा
करता|
न समाधि विक्षेप या लय है, अपनी आत्मा में स्थिर
रहता|| (१८.१८)
The wise man, even
being opposite to the worldly
man, does not see
stillness, distraction or fault in
himself and
remains established in his Self. (18.18)
भाव अभाव रहित है ज्ञानी, तृप्त, कामना रहित है
रहता|
लोक द्रष्टि में कर्ता लेकिन, वह जग में कुछ भी न
करता|| (१८.१९)
The wise man is
free from being and non-being
and being without
desires remains satisfied. Even
when in the eyes
of the world he appears to
doing acts, he
does not do anything. (18.19)
कर्म है जो जीवन में आता, उसको वह सुख से है
करता|
कर्मों में रुचि या विरक्ति में, ज्ञानी नहीं
दुराग्रह रखता|| (१८.२०)
The wise man does
happily whatever comes
in his life to
act. He encounters no difficulty
in doing or not
doing any act. (18.20)
...क्रमशः
....© कैलाश शर्मा
बहुत सुन्दर भावार्थ ... ज्ञानी आत्मलीन ही रहते हैं ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर लाज़वाब सर👌👌
ReplyDeleteकर्म है जो जीवन में आता, उसको वह सुख से है करता|
ReplyDeleteकर्मों में रुचि या विरक्ति में, ज्ञानी नहीं दुराग्रह रखता|
सुंदर बोध देती पंक्तियाँ..आभार !
अदभुद ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/07/26.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
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ReplyDeleteआपका सृजन वृहद उद्देश्यों को पूरा करता है। इतनी सरलता के साथ अष्टावक्र गीता का ज्ञान आपने उपलब्ध कराया है। आभार एवं नमन ।
विलक्षण प्रस्तुति !!!
ReplyDeleteभाव अभाव रहित है ज्ञानी, तृप्त, कामना रहित है रहता|
ReplyDeleteलोक द्रष्टि में कर्ता लेकिन, वह जग में कुछ भी न करता
खूबसूरत और सटीक पंक्तियाँ !!
भाव आभाव रहित हे ज्ञानी
ReplyDeleteभाव आभाव रहित हे ज्ञानी
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