Saturday, 25 April 2015

स्व-जागरूकता

थोड़ी सी ख़्वाहिशें
संतुष्टि उससे जो हाथ में,
अनुभूति खुशियों की 
सभी परिस्थितियों में,
जब होने लगता अहसास
नहीं कुछ कमी स्व-उपलब्धि में,
सब कुछ हो जाता अपना
सम्पूर्ण विश्व मुट्ठी में,
हो जाता विस्तृत आयाम 
चेतना का
स्वयं की जागरूकता में।

...कैलाश शर्मा 

10 comments:

  1. हो जाता विस्तृत आयाम
    चेतना का
    स्वयं की जागरूकता में।
    बहुत उम्दा शर्मा जी।

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  2. हो जाता विस्तृत आयाम
    चेतना का
    स्वयं की जागरूकता में।
    बहुत उम्दा शर्मा जी।

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  3. इस अनुभूति की प्रतीति ही सबसे बड़ी उपलब्धि है !

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  4. जो पास है इसी से इंसान संतुष्ट हो जाए तो जीवन का असल मतलब मिल जाता है ...
    औए स्व-जागरूकता इसकी शुरुआत है ... सुन्दर रचना ...

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  5. बहुत बढ़िया
    मंगलकामनाएं आपको !

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  6. यह अनुभूति ही है ईश्वर से समीपता।

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  7. जब होने लगता अहसास
    नहीं कुछ कमी स्व-उपलब्धि में,
    सब कुछ हो जाता अपना
    ये तीन पंक्तियाँ उठाई हैं मैंने आपकी पोस्ट में से और मुझे लगता है ये जीवन का सार हैं ! बहुत कुछ कहती हैं , समझाती हैं लेकिन कोई समझना तो चाहे ?

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  8. कैलाश जी ! हम तो इस उपलब्धि के आस - पास भी नहीं हैं फिर भी अभी हमने आशा का दामन छोडा नहीं है ।

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