मन चाहा कब होत है, काहे होत उदास,
उस पर सब कुछ छोड़ दे, पूरी होगी आस.
***
मन की मन ने जब करी, पछतावे हर बार,
करता सोच विचार के, उसका है संसार.
***
चलते चलते थक गया, अब तो ले विश्राम,
माया ममता छोड़ कर, ले ले हरि का नाम.
***
किसका ढूंढे आसरा, किस पर कर विश्वास,
सब मतलब के साथ हैं, उस पर रख विश्वास.
***
क्या कुछ लाया साथ में, क्या कुछ लेकर जाय,
लेखा जोखा कर्म का, साथ तेरे रह जाय.
***
जीवन में कीया नहीं, कभी न कोई काम,
कैसे समझेंगे भला, महनत का क्या दाम.
***
मन चंचल है पवन सम, जित चाहे उड़ जाय,
संयम की रस्सी बने, तब यह बस में आय.
***
धन से कब है मन भरा, कितना भी आ जाय,
जब आवे संतोष धन, सब धन है मिल जाय.
***
अपने दुख से सब दुखी, दूजों का दुख देख,
अपना दुख कुछ भी नहीं, उनके दुख को देख.
***
...कैलाश शर्मा
उस पर सब कुछ छोड़ दे, पूरी होगी आस.
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मन की मन ने जब करी, पछतावे हर बार,
करता सोच विचार के, उसका है संसार.
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चलते चलते थक गया, अब तो ले विश्राम,
माया ममता छोड़ कर, ले ले हरि का नाम.
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किसका ढूंढे आसरा, किस पर कर विश्वास,
सब मतलब के साथ हैं, उस पर रख विश्वास.
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क्या कुछ लाया साथ में, क्या कुछ लेकर जाय,
लेखा जोखा कर्म का, साथ तेरे रह जाय.
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जीवन में कीया नहीं, कभी न कोई काम,
कैसे समझेंगे भला, महनत का क्या दाम.
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मन चंचल है पवन सम, जित चाहे उड़ जाय,
संयम की रस्सी बने, तब यह बस में आय.
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धन से कब है मन भरा, कितना भी आ जाय,
जब आवे संतोष धन, सब धन है मिल जाय.
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अपने दुख से सब दुखी, दूजों का दुख देख,
अपना दुख कुछ भी नहीं, उनके दुख को देख.
***
...कैलाश शर्मा
दोहा
ReplyDeleteकिसका ढूंढे आसरा, किस पर कर विश्वास,
सब मतलब के साथ हैं, उस पर रख विश्वास
बेजोड़ अभिव्यक्ति
सादर
waah anand aa gaya sabhi dohe bahut acche lage . hardik badhai aa. kailash ji
Deleteवाह सुंदर दोहे ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी शिक्षा देते दोहे। छठे छन्द में (कीया) और (महनत) को क्रमश: किया व मेहनत कर दें।
ReplyDeleteप्रेरक दोहे।
ReplyDeleteआभार..
ReplyDeleteसुन्दर अर्थपूर्ण दोहे.....
ReplyDeleteजीवंत दोहे राह दिखाते
ReplyDeleteसार्थक दोहे।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सार्थक दोहे रचना !
ReplyDeleteअच्छे दिन आयेंगे !
क्या कुछ लाया साथ में, क्या कुछ लेकर जाय,
ReplyDeleteलेखा जोखा कर्म का, साथ तेरे रह जाय.
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जीवन में कीया नहीं, कभी न कोई काम,
कैसे समझेंगे भला, महनत का क्या दाम.
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मन चंचल है पवन सम, जित चाहे उड़ जाय,
संयम की रस्सी बने, तब यह बस में आय.
एक एक दोहा एकदम सटीक और बेहतरीन ! बहुत ही ज्यादा पसंद कैलाश शर्मा जी ! अब ये विधा कुछ काम नहीं हो गयी , लोग बहुत कम दोहे लिखते हैं आजकल
दोहे
ReplyDeleteबेहतरीन...
ReplyDeleteबढ़िया व सुंदर आदरणीय धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार...
ReplyDeleteमाया मन्नत कहाँ छोड़ी जाती है इस संसार में ... वो तो इश्वर के बस ही है ...
ReplyDeleteलाजवाब दोहे हैं सभी ...
सुंदर और सार्थक दोहे...बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, बधाई नवाकार
ReplyDeleteDEKHAN ME CHOTAN LAGE GHAV KARE GAMBHIR
ReplyDeletesudhirsinghmgwa@gmail.com
MANZIL GROUP SAHITIK MANCH,DELHI
बहुत सुन्दर रचना ,👏👏👏👏🚩🚩
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