Thursday 10 April 2014

तलाश खुशियों की

लिये आकांक्षा अंतस में चढ़ने की 
खुशियों और शांति की चोटी पर 
करने लगते संग्रह रात्रि दिवस
साधनों, संबंधों, अनपेक्षित कर्मों का
और बढ़ा लेते बोझ गठरी का।
उठाये भारी गठरी कंधे पर 
पहुंचते जब चोटी पर
नहीं बचती क्षमता और रूचि 
करने को अनुभव सुख और ख़ुशी
गँवा दिया जीवन जिसकी तलाश में।

उठाते कितने कष्ट करने में संग्रह 
सुख सुविधा के भौतिक साधन  
लेकिन नहीं मिलती संतुष्टि,
जुट जाते हैं पुनः करने को पूरी 
नयी इच्छा नहीं है जिनका अंत,
नहीं निकल पाते जीवन भर 
इच्छाओं के मकड़जाल से 
और कर देते हैं विस्मृत 
ख़ुशी नहीं केवल उपलब्धि 
भौतिक सुविधाओं की,
यह है केवल एक मानसिक स्तिथि
जिसे पाते हैं समझ 
जब देर बहुत हो चुकी होती।

नहीं हैं अनपेक्षित कर्म
और न ही संभव छुटकारा उनसे
पर जब बन जाते हैं कर्म
केवल एक साधन पाने का
एक चोटी उपलब्धि की,
विस्मृत हो जाता आनंद कर्म का
और उपलब्धियां खो देती हैं अर्थ
पहुँचने पर चोटी पर.

रिश्तों और संबंधों को 
बनाते बैसाखी चढ़ने को 
चोटी पर सफलता की
और कर देते तिरस्कृत उनको 
सफलता के घमंड में,
पाते हैं खुशियाँ कुछ पल की 
और पाते स्वयं को अंत में 
सुनसान चोटी पर 
खुशियों से दूर और एकाकी।

साधन और सम्बन्ध 
दे सकते खुशियाँ 
केवल कुछ पल की,
खुशियों के लिये जीवन में 
ज़रुरत है समझने की अंतर 
क्या है आवश्यक और अनावश्यक 
साधन और संबंधों में।

जितना कम होगा बोझ कंधों पर 
होगी उतनी ही सुगम और सुखद 
यात्रा इस जीवन की।

कैलाश शर्मा 

9 comments:


  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.04.2014) को "शब्द कोई व्यापार नही है" (चर्चा अंक-1579)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  2. ख़ुशी केवल केवल एक मानसिक स्थिति

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  3. जितना कम होगा बोझ कंधों पर
    होगी उतनी ही सुगम और सुखद
    यात्रा इस जीवन की।
    सुख प्राप्ति का और उसकी मधुरता के रसास्वादन का निचोड़ है इन पंक्तियों में ! बहुत ही उत्कृष्ट रचना ! अति सुंदर !

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  4. आदरणीय कैलाश जी ,
    मुझे इस ब्लॉग के बारे में पता ही नहीं था. अच्छा हुआ , जो आपने मुझे लिंक दिया . वरना मैं इतने खुबसूरत ब्लॉग से वंचित रह जाता .
    जितना कम होगा बोझ कंधों पर
    होगी उतनी ही सुगम और सुखद
    यात्रा इस जीवन की।
    ये कहकर तो आपने पूरे जीवन का सार दे दिया है .
    इसे अवश्य ह्रुदयम पर लगाए !
    हर पोस्ट को आप शेयर करे ह्रुदयम पर !
    आभार आपका
    विजय

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  5. पद प्रतिष्ठा से अहंकार नहीं आना चाहिए .... असली ख़ुशी तो अंतस की होती है . जीवन के शाश्वत सत्य को कहती उम्दा रचना

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  6. बेहद उम्दा। एक अलग और गहरी सोच।

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  7. परम संतोष तो रखना ही पड़ेगा।

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