Monday, 24 March 2014

शब्द

शब्द है ब्रह्म 
सभी अर्थों से परे,
शब्दों को देते हम अर्थ 
अनुसार अपने विचारों के,
शब्द है आईना 
हमारे व्यक्तित्व व भावों का.

शब्द देते जीवन 
शब्द देते प्रेरणा 
किसी को जीने की,
शब्द बन जाते 
कभी तीक्ष्ण कटार 
और देते घाव 
जो भरता नहीं कभी.

कसो शब्दों को 
अंतस की कसौटी पर 
अभिव्यक्ति से पहले,
मुंह से निकले शब्द
नहीं आते वापिस 
चाहने पर भी.

....कैलाश शर्मा 

12 comments:

  1. बहुत सही बात है। मौन साधना बहुत कठिन है।

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  2. बहुत बेहतरीन ! शत प्रतिशत सत्य !

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  3. सच्ची- अर्थपूर्ण बात......

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  4. सुंदर भाव, स्वस्थ विचार!

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  5. सत्य ....बहुत सही बात है।

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  6. मुंह से निकले शब्द
    नहीं आते वापिस
    चाहने पर भी..........
    tabhi apno ko dukhte se shbd kabhi nahi kahne chahie h naa sir......???????
    mujhe yah post behad hi achchi lagi......
    par naa jaane kyun main yah blog join hi nahi kar paa rahi hu.....?????

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  7. इसीलिए बहुत सोच समझ कर ही कुछ कहना चाहिए ।

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  8. बेहद उम्दा प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें... जीवन की सारी हलचल शब्द के इर्दगिर्द सिमटी हुई है...

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  9. बहुत ही सच्ची और सटीक बात..
    बेहतरीन रचना...
    :-)

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  10. वाह बहुत खून लाख टके की बात :

    पहले तौलो फिर बोलो !

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  11. कसो शब्दों को
    अंतस की कसौटी पर
    अभिव्यक्ति से पहले, puri tarah se sahmat hoon ......

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