नहीं है वह कर्ता या भोक्ता, जब साधक को ज्ञान है होता|
तब सम्पूर्ण चित्त-वृतियों का, निश्चय सदा नाश है होता|| (१८.५१)
When one realises
that he is neither the doer
nor reaper of the
acts performed by him, then
all mind waves are
certainly destroyed forever. (18.51)
ज्ञानी की स्वाभाविक स्थिति, उच्छृंखलता भी श्रेष्ठ है होती|
इच्छाओं से भरे मूढ़ की, कृत्रिम शान्ति न शोभित है होती|| (१८.५२)
The unassuming
licentiousness of the wise man is
better than the
deliberate and assumed stillness
of the fool. (18.52)
विषयों का वह भोग है करता, या गहन कंदरा में जब रहता|
मुक्त कल्पना, बंधन, बुद्धि से, ज्ञानी का मन शांत है रहता|| (१८.५३)
The wise man
whether enjoying the pleasures of
the senses or
living secluded in a cave, remains
at peace because
he is free from imagination,
bondage and
unfettered intelligence. (18.53)
राजा, स्त्री, पुत्र देख कर, या देव, तीर्थ का पूजन करता|
धैर्यशील ज्ञानी के मन में, कोई कामना भाव न जगता|| (१८.५४)
The wise man while
paying respect to celestial
beings, holy
places, king, woman or son, does
not feel any sense
of attachment in his heart. (18.54)
स्त्री, पुत्र, सेवक या नाती, यदि सगोत्र उपहास भी करते|
उनसे धिक्कारा जाने पर भी, योगी मन में विकार न पलते|| (१८.५५)
Even after being
ridiculed or humiliated by wife,
son, servant,
grandchildren or relatives, a Yogi
is not at all disturbed mentally.(18.55)
...क्रमशः
....© कैलाश शर्मा
वाह अदभुद। लम्बे समयांतराल पर।
ReplyDeleteभीतर की शांति ऐसी ही होती है जो एक बार मिल जाये तो भंग नहीं होती..
ReplyDeleteबहुत बढिया...
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/12/99.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteअद्भुत ! हर काल, हर स्थान में उपयुक्त हैं ये श्लोक।
ReplyDeleteHappy Valentines Gift Ideas Online
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