Saturday, 25 April 2015

स्व-जागरूकता

थोड़ी सी ख़्वाहिशें
संतुष्टि उससे जो हाथ में,
अनुभूति खुशियों की 
सभी परिस्थितियों में,
जब होने लगता अहसास
नहीं कुछ कमी स्व-उपलब्धि में,
सब कुछ हो जाता अपना
सम्पूर्ण विश्व मुट्ठी में,
हो जाता विस्तृत आयाम 
चेतना का
स्वयं की जागरूकता में।

...कैलाश शर्मा 

Wednesday, 8 April 2015

मुक्ति बंधनों से

बाँध लेते जब स्वयं को
किसी विचार, व्यक्ति या वस्तु से,
खो देते अपना अस्तित्व 
और बंध जाते उसके अस्तित्व से।

मत बांधो अपनी नौका किसी किनारे
बहने दो साथ लहरों के,
देखो अपने चारों ओर दृष्टा भाव से
होते अनवरत बदलाव,
अप्रभावित तुम्हारा अस्तित्व जिस से।

जब होता जाग्रत दृष्टा भाव
हो जाती मुक्त आत्मा
सभी बदलाव और बंधनों से.

...कैलाश शर्मा