थोड़ी सी ख़्वाहिशें
संतुष्टि उससे जो हाथ में,
अनुभूति खुशियों की
सभी परिस्थितियों में,
जब होने लगता अहसास
नहीं कुछ कमी स्व-उपलब्धि में,
सब कुछ हो जाता अपना
सम्पूर्ण विश्व मुट्ठी में,
हो जाता विस्तृत आयाम
चेतना का
स्वयं की जागरूकता में।
संतुष्टि उससे जो हाथ में,
अनुभूति खुशियों की
सभी परिस्थितियों में,
जब होने लगता अहसास
नहीं कुछ कमी स्व-उपलब्धि में,
सब कुछ हो जाता अपना
सम्पूर्ण विश्व मुट्ठी में,
हो जाता विस्तृत आयाम
चेतना का
स्वयं की जागरूकता में।
...कैलाश शर्मा