ढो रहे हैं
अपने अपने कंधों पर
अपना अपना सत्य
अनज़ान सम्पूर्ण सत्य से।
अपने अपने कंधों पर
अपना अपना सत्य
अनज़ान सम्पूर्ण सत्य से।
प्रत्येक का अपना सत्य
समय, परिस्थिति, सोच अनुसार
जो बन जाता उसका सम्पूर्ण सत्य
और बाँध देता उसकी सोच
अपने चारों ओर जीवन भर।
समय, परिस्थिति, सोच अनुसार
जो बन जाता उसका सम्पूर्ण सत्य
और बाँध देता उसकी सोच
अपने चारों ओर जीवन भर।
प्रतिज्ञाबद्ध भीष्म का
अपनी प्रतिज्ञा का सच
जो कर देता आँखें बंद
अन्य सभी सच से,
दुर्योधन को अपना अपमान
बन जाता अपना सच
करने को अपमान द्रोपदी का,
अपने अपमान का प्रतिशोध
द्रोपदी का अपना सच,
अहसानों की जंजीरों में आबद्ध
द्रोणाचार्य, कर्ण का अपना सच,
सम्पूर्ण सच से बाँध पट्टी आँखों पर
उतरे सभी महाभारत युद्ध में
अपने अपने सच को साथ लेकर।
अपनी प्रतिज्ञा का सच
जो कर देता आँखें बंद
अन्य सभी सच से,
दुर्योधन को अपना अपमान
बन जाता अपना सच
करने को अपमान द्रोपदी का,
अपने अपमान का प्रतिशोध
द्रोपदी का अपना सच,
अहसानों की जंजीरों में आबद्ध
द्रोणाचार्य, कर्ण का अपना सच,
सम्पूर्ण सच से बाँध पट्टी आँखों पर
उतरे सभी महाभारत युद्ध में
अपने अपने सच को साथ लेकर।
कितना सापेक्ष हो गया है सच
क्यों बंधे रहते केवल अपने सच से,
क्यों बाँध लेते पट्टी आँखों पर
जब खड़ा होता सम्पूर्ण सत्य सामने।
क्यों बंधे रहते केवल अपने सच से,
क्यों बाँध लेते पट्टी आँखों पर
जब खड़ा होता सम्पूर्ण सत्य सामने।
सत्य केवल सत्य होता है
कोई आधा अधूरा नहीं
सापेक्षता से कोसों दूर,
काश स्वीकार कर पाते
अस्तित्व सम्पूर्ण सत्य का
टल जाते कितने महाभारत जीवन में।
कोई आधा अधूरा नहीं
सापेक्षता से कोसों दूर,
काश स्वीकार कर पाते
अस्तित्व सम्पूर्ण सत्य का
टल जाते कितने महाभारत जीवन में।
....© कैलाश शर्मा