धर्म अर्थ या काम मोक्ष में, त्याग ग्रहण से
मुक्त जो रहता|
जीवन मृत्यु में सम होता, दुर्लभ ऐसा जन सदा है रहता||(१७.६)
It is rare to find such noble-minded person, who
is free from attachment and repulsion to religion,
wealth, liberation, desires, life and death.(17.6)
विश्व विलय की न है इच्छा, न विद्वेष है इसकी
स्थिति से|
आनंदित, कृतज्ञ है रहता, जो कुछ पाता अपने जीवन
से||(१७.७)
He neither desires the end of the world, nor is
dissatisfied with his existing state. He lives
happily and contented with whatever he gets
in life.(17.7)
आपूरित हो ज्ञान से ऐसे, स्व-बुद्धि को विलीन
वह करता|
स्पर्श, सूंघते, खाते, सुनते भी, वह सदैव सुख
से है रहता||(१७.८)
Thus endowed with such knowledge, he subsides
his thinking mind and remains happily even when
touching, smelling, eating and listening.(17.8)
जग सागर क्षीण होते ही, न कोई कामना,विरक्ति है
रहती|
द्रष्टि शून्य, चेष्टा विहीन वह, शिथिल
इन्द्रियां उसकी रहती||(१७.९)
When this world ocean dries up in him, he becomes
free from attachment and aversion. His eyes become
blank, behaviour effortless and senses inactive.(17.9)
न ही जागता, न ही सोता, न पलक खोलता बंद न
करता|
है आश्चर्य कि वह ज्ञानी जन, उत्कृष्ट दशा में
सदा है रहता||(१७.१०)
He is neither awake nor asleep. He neither opens
nor closes his eyes. Such enlightened soul always
remains in this liberated state.(17.10)
...क्रमशः
....© कैलाश शर्मा
हमेशा की तरह अदभुद ।
ReplyDeleteकर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म को दर्शाती पंक्तियाँ..
ReplyDeleteन ही जागता, न ही सोता, न पलक खोलता बंद न करता|
ReplyDeleteहै आश्चर्य कि वह ज्ञानी जन, उत्कृष्ट दशा में सदा है रहता|
सदैव की भांति शानदार आध्यात्मिक प्रस्तुति , आदरणीय शर्मा जी !
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुंदर आदरणीय। बहुत सुंदर।
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