Friday, 23 March 2012

वन्दना

शक्ति देना, प्रभु मुझे तुम शक्ति देना.

ज्ञान का सागर गहन गंभीर है,
पार करना कठिन, क्षुद्र नौका के सहारे.
आयेंगे अज्ञान के तूफ़ान गहरे,
रास्ते बन जायें लहरें, प्रेम के तेरे सहारे.

है बहुत कमजोर यह पतवार मेरी,
शक्ति देना, प्रभु मुझे तुम शक्ति देना.

भक्ति तेरी ही असीमित शक्ति है,
चल पड़ा हूँ आज मैं इसके सहारे.
राह के कंटक बनेंगे फूल मुझको,
यह रहे विश्वास, छूटें न किनारे.

डगमगाये न कभी विश्वास तुम पर, 
शक्ति देना, प्रभु मुझे तुम शक्ति देना.

तन को कब समझा था अपना,
मन समर्पित आज तुमको कर दिया है.
कैसे भव सागर करूँगा पार प्रभु,
बोझ यह भी आज तुम को दे दिया है.

मन रहे पावन तुम्हारे मिलन पर,
शक्ति देना, प्रभु मुझे तुम शक्ति देना.

कैलाश शर्मा