Tuesday 26 August 2014

आधा अधूरा सत्य

ढो रहे हैं
अपने अपने कंधों पर
अपना अपना सत्य
अनज़ान सम्पूर्ण सत्य से।

प्रत्येक का अपना सत्य 
समय, परिस्थिति, सोच अनुसार 
जो बन जाता उसका सम्पूर्ण सत्य
और बाँध देता उसकी सोच
अपने चारों ओर जीवन भर।

प्रतिज्ञाबद्ध भीष्म का 
अपनी प्रतिज्ञा का सच
जो कर देता आँखें बंद 
अन्य सभी सच से,
दुर्योधन को अपना अपमान
बन जाता अपना सच
करने को अपमान द्रोपदी का,
अपने अपमान का प्रतिशोध
द्रोपदी का अपना सच,
अहसानों की जंजीरों में आबद्ध 
द्रोणाचार्य, कर्ण का अपना सच,
सम्पूर्ण सच से बाँध पट्टी आँखों पर
उतरे सभी महाभारत युद्ध में
अपने अपने सच को साथ लेकर।

कितना सापेक्ष हो गया है सच 
क्यों बंधे रहते केवल अपने सच से,
क्यों बाँध लेते पट्टी आँखों पर
जब खड़ा होता सम्पूर्ण सत्य सामने।

सत्य केवल सत्य होता है
कोई आधा अधूरा नहीं
सापेक्षता से कोसों दूर,
काश स्वीकार कर पाते  
अस्तित्व सम्पूर्ण सत्य का
टल जाते कितने महाभारत जीवन में।

....© कैलाश शर्मा 

27 comments:

  1. वाह ... ऐसी स्वीकार्यता ही सह अस्तित्व का पाठ पढ़ाती है ... सुन्दर रचना

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  2. कितना सापेक्ष हो गया है सच
    क्यों बंधे रहते केवल अपने सच से,
    क्यों बाँध लेते पट्टी आँखों पर
    जब खड़ा होता सम्पूर्ण सत्य सामने।
    बहुत खूबसूरत , प्रभावी और सार्थक शब्द आदरणीय श्री शर्मा जी

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  3. कोई भी पूर्णतः सच नहीं होता
    बाह्य और अंतर की साँसों में बड़ा अंतर होता है
    और इसे अंतर और मस्तिष्क बखूबी जानता है

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  4. सच है हर व्यक्ति का अपना ही सत्य होता है जिसके साथ वह बंधा होता है और वही उसके हर निर्णय का नियंता बन जाता है ! गहन रचना !

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  5. कोई भी सच पूर्ण नहीं होता लेकिन हमारी अंतरआत्मा इसे खुब पहचानती है।
    सुंदर वर्णन।

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  6. बहुत सुन्दर राकानस है । हर सोच के दो या अधिक पहलू होते ही है किसी के लिए गिलास आधा भरा किसी के लिए आधा खाली

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  7. बहुत सुन्दर राकानस है । हर सोच के दो या अधिक पहलू होते ही है किसी के लिए गिलास आधा भरा किसी के लिए आधा खाली

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  8. बहुत सुंदर ।
    पर ढोना तो है ही ।

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  9. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28-08-2014 को मंच पर चर्चा - 1719 में दिया गया है
    आभार

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  10. काश स्वीकार कर पाते
    अस्तित्व सम्पूर्ण सत्य का
    टल जाते कितने महाभारत जीवन में।.....sachhi baat

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  11. काश! यदि सभी शाश्वत सत्य के अस्तिव को स्वीकार कर पाते....... बहुत बढ़िया लेखन !!

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  12. सत्य केवल सत्य होता है

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  13. Replies
    1. आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 29 . 8 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

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  14. saty sadaiv aisa hi raha hai sabka apna apna...saty isi hat me kahin lupt ho jata hai...bahut katu saty ...

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  15. सत्य आधा अधूरा भी होता है जब उसका सही संदर्भ नही बताया जाता। पर फिर भी इस सुंदर प्रस्तुति का आभार।

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  16. कितना सापेक्ष हो गया है सच
    क्यों बंधे रहते केवल अपने सच से,
    क्यों बाँध लेते पट्टी आँखों पर
    जब खड़ा होता सम्पूर्ण सत्य सामने।
    .
    शानदार प्रश्न किया आपने आदरणीय
    .
    सत्य केवल सत्य होता है
    कोई आधा अधूरा नहीं
    सापेक्षता से कोसों दूर,
    काश स्वीकार कर पाते
    अस्तित्व सम्पूर्ण सत्य का
    टल जाते कितने महाभारत जीवन में।
    .
    बेहतरीन जवाब भी दिया आपने। सुन्दर शिक्षाप्रद अभिव्यक्ति।

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  17. बहुत बढ़िया, प्रभावी...

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  18. हम सब बँधे हैं अपने-अपने अधूरे सचों से .......

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  19. Thanks for sharing information Birthday Cakes for all readers.

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